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कहानी में एक क्रोधित राजा का वर्णन है जो छोटी-छोटी गलतियों पर कठोर सजा देता था और उसके पास खूंखार कुत्तों का एक समूह था जिनसे वह दंड दिलवाता था।
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राजा के मंत्री से एक छोटी सी गलती हो गई जिसके लिए उसे कुत्तों के आगे फेंकने का आदेश दिया गया, लेकिन मंत्री ने दस दिन की मोहलत मांगी।
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मंत्री ने इन दस दिनों में कुत्तों के साथ दोस्ती कर ली, उन्हें प्यार और सेवा देकर अपना बना लिया।
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जब मंत्री को कुत्तों के सामने लाया गया, तो कुत्ते उस पर हमला करने के बजाय उसके साथ खेलने लगे, जिससे राजा और सभी लोग चौंक गए।
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मंत्री ने राजा को बताया कि उसने कुत्तों की सेवा की थी, जिससे वे उसे भूल नहीं पाए, जबकि राजा ने मंत्री की वर्षों की वफादारी को भूलकर उसे सजा देने का निर्णय लिया था।
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राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने मंत्री को रिहा कर दिया और वादा किया कि वह भविष्य में अपने लोगों की गलतियों को माफ करेगा।
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इस घटना के बाद, राजा एक दयालु और कुशल शासक के रूप में जाना जाने लगा,
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जो अपने प्रजा के अच्छे कार्यों को महत्व देता था।
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कहानी का संदेश है कि प्रेम और दया से क्रूरता को भी काबू में किया जा सकता है और थोड़ी करुणा से रिश्ते मजबूत और स्थायी बन सकते हैं।
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