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एक ठग व्यापारी गाँव में राहगीर बनकर आया और एक दयालु किसान के घर रात बिताने की जगह मांगी। किसान ने उसे प्रेम से खिलाया-पिलाया और ठहरने की जगह दी।
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व्यापारी ने किसान को एक टूटा-फूटा कुआँ दिखाया और कहा कि वह चाँदी का कुआँ है, जिसका मालिक वह खुद है। उसने कुएँ से चाँदी के गहने मिलने की कहानी सुनाई और गहने दिखाकर किसान को विश्वास दिलाया।
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व्यापारी ने किसान से कहा कि वह कुआँ बेचने आया है और किसान को इसे खरीदने का प्रस्ताव दिया। भोला-भाला किसान उसकी बातों में आ गया और कुआँ खरीदने को तैयार हो गया।
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किसान ने अपनी पत्नी से पैसे मांगे, लेकिन उसकी पत्नी ने रामू काका से सलाह लेने की बात कही। रामू काका गाँव के अनुभवी बुजुर्ग थे।
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रामू काका ने किसान को सलाह दी कि वह व्यापारी से लिखित करार की मांग करे। अगर व्यापारी तैयार होता है, तो कुआँ असली होगा, नहीं तो वह एक हजार में ही मान जाएगा।
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किसान ने व्यापारी से लिखित करार की बात कही, लेकिन व्यापारी बिना लिखित करार के एक हजार रूपये लेने को तैयार हो गया।
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किसान को समझ में आ गया कि व्यापारी ठग है।
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उसने पड़ोस से कुछ लोगों को बुलाया और ठग की पिटाई करवाई।
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ठग ने पिटाई के बाद अपनी असली बात बता दी और गाँव वालों ने उसे पुलिस को सौंप दिया।
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