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विद्यासागर, जिसे उसके सहपाठी 'विघू' कहते थे, एक किसान का बेटा था और उसने गांव के प्राथमिक विद्यालय से अच्छे अंक प्राप्त किए थे।
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उसकी शैक्षिक योग्यता के कारण उसे सरकार से वजीफा मिला, जिससे वह एक अच्छे विद्यालय में प्रवेश कर सका।
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विद्यासागर के साधारण कपड़े और आर्थिक स्थिति के कारण उसके सहपाठी उससे दूरी बनाए रखते थे, और वह कैंटीन भी नहीं जा पाता था।
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विद्यासागर स्कूल समय से पहले आता था ताकि अन्य छात्र उसके होमवर्क से नकल कर सकें, जिससे वे सजा से बच जाते थे।
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विद्यालय में एक निरीक्षण के दौरान, शिक्षा विभाग की टीम ने छात्रों से प्रश्न पूछे, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिले।
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प्रधानाचार्य ने विद्यासागर की कक्षा का निरीक्षण करने का सुझाव दिया, जहां उसने सभी प्रश्नों के उत्तर संतोषजनक ढंग से दिए।
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विद्यासागर ने विशेष रूप से ग्रामीण जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर देकर निरीक्षकों को प्रभावित किया।
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अगले दिन, प्रधानाचार्य ने प्रार्थना सभा में विद्यासागर की प्रशंसा की, जिससे उसके सहपाठी उस पर गर्व महसूस करने लगे।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि साधारण पृष्ठभूमि के बावजूद, अगर आप अपने कौशल और शिक्षा पर ध्यान दें, तो आप दूसरों पर अपनी छाप छोड़ सकते हैं।
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