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नर्मदा नदी के किनारे स्थित कमलपुर गांव में विक्रम नामक एक बलशाली युवक रहता था, जिसे अपनी ताकत पर बड़ा गर्व था, लेकिन वह अपनी ताकत का उपयोग बुराई करने में करता था, जिससे गांव के लोग उससे नफरत करते थे।
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एक दिन गांव में एक साधु आया, जिसने विक्रम की ताकत के बारे में सुना और उससे मिलने का निश्चय किया। साधु ने विक्रम से कहा कि वह चाहता है कि उसकी ताकत और ख्याति बढ़े।
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साधु ने विक्रम को एक बाल्टी में कुएं से पानी भरकर लाने के लिए कहा। विक्रम ने पानी से भरी बाल्टी को ऊपर खींचने में ज्यादा बल लगने की बात कही।
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साधु ने इस क्रिया के माध्यम से विक्रम को समझाया कि बुराई करना आसान है, जैसे खाली बाल्टी को गिराना, जबकि भलाई करना कठिन है, जैसे पानी से भरी बाल्टी को ऊपर खींचना।
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साधु ने विक्रम को यह शिक्षा दी कि यदि वह अपनी ताकत और ख्याति को बढ़ाना चाहता है, तो उसे बुराई छोड़कर भलाई के कार्यों में अपनी ताकत लगानी होगी।
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विक्रम ने साधु की बात को गहराई से सुना और वादा किया कि वह अब अपने बल का उपयोग केवल अच्छे कार्यों में करेगा।
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साधु ने विक्रम को आशीर्वाद दिया और कहा कि जैसा कार्य करोगे, वैसा ही बल और सम्मान पाओगे।
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कहानी की सीख यह है कि बुराई करना आसान है,
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लेकिन भलाई करना ही सच्ची ताकत और सफलता का आधार है।
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