Read Full Story
राहुल और राशिद एक ही कक्षा में पढ़ते थे और दोनों स्कूल की हॉकी टीम के महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे, जिनकी साझेदारी से टीम ने कई मैच जीते थे।
Read Full Story
राशिद अक्सर राहुल के घर जाता था, पर राहुल की माँ ने उसके बर्तन अलग रखे थे क्योंकि वह मुस्लिम था, जो राहुल को पसंद नहीं था।
Read Full Story
ईद के दिन राशिद ने राहुल की माँ को सेवइयां दीं, लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया, जिससे राहुल को बुरा लगा।
Read Full Story
एक दिन खेलते समय राहुल को चोट लग गई और उसे अस्पताल ले जाया गया। उसके पिता बाहर थे, लेकिन राशिद के पिता ने उसकी देखभाल की।
Read Full Story
राहुल को खून की आवश्यकता थी, और राशिद के पिता का खून उसके खून से मेल खा गया, जिससे उन्होंने रक्तदान किया और राहुल की जान बचाई।
Read Full Story
इस घटना ने राहुल की माँ की सोच बदल दी। उन्होंने महसूस किया कि धर्म और जाति से ऊपर इंसानियत होती है।
Read Full Story
राहुल ने अपनी माँ से पूछा कि अब उसकी रगों में मुसलमान का खून है, तो क्या वह उसके हाथ से खाना लेंगी। इस पर उसकी माँ की आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने अपनी गलती मानी।
Read Full Story
कहानी का मुख्य संदेश है कि सभी इंसानों का खून एक ही रंग का होता है, और हमें धर्म और जाति के भेदभाव से ऊपर उठकर इंसानियत को प्राथमिकता देनी चाहिए।
Read Full Story
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची इंसानियत जाति और धर्म से ऊपर होती है, और प्यार और भाईचारे से ही दुनिया बेहतर बनती है।
Read Full Story