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एक छोटी सी कॉलोनी में रहने वाला होशियार लड़का रवि पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन मेहनत करने में उसकी दिलचस्पी नहीं थी। वह हमेशा कहता कि पढ़ाई तो आखिरी समय पर भी की जा सकती है।
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रवि की मम्मी उसे समझाने की कोशिश करती कि मेहनत से ही सफलता मिलती है, लेकिन रवि उनकी बात अनसुनी कर देता था।
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स्कूल में गणित प्रतियोगिता की घोषणा होने पर रवि के दोस्त उत्साहित होकर तैयारी करने लगे, पर रवि ने सोचा कि उसे ज्यादा पढ़ाई करने की जरूरत नहीं है।
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प्रतियोगिता से एक दिन पहले जब रवि ने अपनी किताब खोली, तो उसे एहसास हुआ कि उसे बहुत से सवाल नहीं आते हैं, जिससे वह परेशान हो गया।
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मम्मी ने रवि को पूरी रात मेहनत करने की सलाह दी, जिससे उसे थोड़ा फायदा हो सकता था। रवि ने यह बात मानकर रात भर पढ़ाई की और आलस छोड़ने का फैसला किया।
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प्रतियोगिता के दिन रवि ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की और दूसरा स्थान प्राप्त किया, जिससे वह थोड़ा उदास था।
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प्रधान जी ने रवि को समझाया कि दूसरा स्थान भी कमाल है, लेकिन अगर वह पहले से मेहनत करता तो शायद पहले स्थान पर होता।
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कहानी सिखाती है कि मेहनत करने का सही समय आज ही है। आलस और टालमटोल से सफलता दूर हो जाती है,
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लेकिन ईमानदारी और मेहनत से हर सपना पूरा हो सकता है।
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