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"चोर पकड़ा गया" एक रोमांचक कहानी है, जिसमें तीन बच्चे अपनी बुद्धिमानी और तर्क शक्ति से गाँव में हुई चोरी का रहस्य सुलझाते हैं।
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सुखनगर गाँव में पंडित जी के घर से उनकी कीमती पुरानी घड़ी गायब हो जाती है, जिससे गाँव में हड़कंप मच जाता है।
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राजू, मीना और अमर नाम के तीन बच्चे, जो गाँव के मामलों में रुचि रखते हैं, इस रहस्य को सुलझाने का फैसला करते हैं।
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अपराध स्थल की जाँच करते समय, बच्चों को खिड़की के पास कीचड़ के निशान और मेज पर अजीब धूल मिलती है, जिससे उन्हें कुछ सुराग मिलते हैं।
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गाँव के कोयला विक्रेता रामू काका के पास जाकर, बच्चों को पता चलता है कि मोहन नाम का एक मजदूर कोयला लेने आया था और उसके जूते गंदे थे।
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बच्चों को संदेह होता है कि मोहन ही चोर हो सकता है, लेकिन उनके पास ठोस सबूत नहीं होते।
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राजू की योजना से, बच्चे मोहन के झोंपड़े के पास जाकर कीचड़ वाले जूते और खिड़की से घड़ी देखते हैं, जिससे उन्हें सबूत मिलता है।
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गाँव के मुखिया और पुलिस को सूचना देने पर, पुलिस मोहन के झोंपड़े में घड़ी पाती है और उसे गिरफ्तार कर लेती है।
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इस कहानी से बच्चों को सीख मिलती है कि निरीक्षण शक्ति, तार्किक सोच, टीम वर्क और साहस से किसी भी रहस्य को सुलझाया जा सकता है।
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कहानी बच्चों को यह भी सिखाती है कि हर अपराध के पीछे सुराग होते हैं और तर्क व धैर्य से सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
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