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"चोर को मोर" एक मज़ेदार बाल कहानी है जो बच्चों को हंसाने और नैतिकता सिखाने के लिए बनाई गई है। यह कहानी नरेंद्र देवांगन की मूल कहानी से प्रेरित है और इसमें नए किरदारों और मजेदार मोड़ जोड़े गए हैं।
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कहानी में चार दोस्त हैं—विक्की, रिंकू, टिंकू और भोलू। विक्की, रिंकू और टिंकू शरारती हैं और हमेशा किसी को ठगने की फिराक में रहते हैं, जबकि भोलू नेकदिल और सच्चाई का सिपाही है।
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एक दिन, गाँव के मेले में गोपाल नामक किसान ने एक गधा खरीदा। विक्की, रिंकू और टिंकू गोपाल को ठगने की योजना बनाते हैं, लेकिन भोलू उनकी चालाकी को समझ जाता है।
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भोलू गोपाल को तीनों की योजना के बारे में बताता है, जिससे गोपाल सतर्क हो जाता है और तीनों को सबक सिखाने की योजना बनाता है।
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गोपाल अपनी चतुराई से तीनों दोस्तों के थैले भी ले लेता है और गधे पर लादकर चुपके से गाँव लौट आता है।
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विक्की, रिंकू और टिंकू को अपनी गलती का एहसास होता है और वे भोलू से माफी मांगते हैं। वे समझ जाते हैं कि बेईमानी का रास्ता गलत है।
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गाँव में गोपाल की चतुराई और भोलू की सच्चाई की तारीफ होती है। गाँव वाले एक छोटा उत्सव मनाते हैं और भोलू को "गाँव का हीरो" कहा जाता है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि बेईमानी और चालाकी से हमेशा नुकसान होता है। सच्चाई और मेहनत का रास्ता चुनने से ही सम्मान मिलता है।
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इस कहानी के माध्यम से बच्चों को सिखाया जाता है कि सच्चाई हमेशा जीतती है और हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए।
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"चोर को मोर" न केवल मनोरंजक है, बल्कि इसमें एक गहरी नैतिक सीख भी छुपी हुई है, जो बच्चों को सच्चाई का महत्व समझाती है।
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