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चिंटू एक चालाक लड़का था, जो स्कूल, घर, और दोस्तों के बीच अपनी चालाकी से मशहूर था, और अक्सर पैसे ऐंठने के लिए नए बहाने बनाता था।
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एक दिन चिंटू ने अपने दोस्तों को मार्केट में आए नए वीडियो गेम को खरीदने के लिए पैसे जमा करने का सुझाव दिया। उसने मोनू की मम्मी से पैसे लेने की बात की, जिससे मोनू मान गया।
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घर पर चिंटू ने पेंटिंग प्रतियोगिता के बहाने अपने पापा से 300 रुपये मांगे, लेकिन उन पैसों से उसने आइसक्रीम खाई और वीडियो गेम खेलने चला गया।
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दोस्तों को चिंटू की चालाकियों का पता चल गया और उन्होंने उसे सबक सिखाने की योजना बनाई। उन्होंने झूठा गेमिंग कंपटीशन का बहाना बनाकर चिंटू से 100 रुपये ले लिए।
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जब चिंटू को पता चला कि ऐसा कोई कंपटीशन नहीं था, तो उसे अपनी चालाकी का परिणाम समझ में आ गया।
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चिंटू ने अपनी गलती स्वीकार की और अपने पापा से कहा कि वह अब ईमानदारी से काम करेगा और झूठ बोलने से रिश्ते बिगड़ जाते हैं।
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कहानी का संदेश है कि चालाकी से थोड़े समय के लिए फायदा हो सकता है,
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लेकिन सच्चाई और मेहनत ही जीवन में सफलता दिलाती है।
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यह कहानी एक महत्वपूर्ण सीख देती है कि ईमानदारी और मेहनत से ही सच्चा सुख और संतोष प्राप्त होता है।
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