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यह कहानी एक समझदार मुर्गे और चालाक लोमड़ी की है, जो एक घने जंगल में घटित होती है। मुर्गा हर सुबह जल्दी उठकर 'कूकड़ू-कूं' करता और दिन में दाना चुगता था।
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लोमड़ी हमेशा उस मुर्गे को पेड़ पर बैठा देखती और उसे खाने की योजना बनाती थी, लेकिन मुर्गा हमेशा सतर्क रहता था।
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एक दिन, लोमड़ी ने मुर्गे को धोखा देने के लिए एक चाल चली और कहा कि जंगल का राजा अब सभी जानवरों को दोस्त बनाकर रहने का आदेश दे चुका है।
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लोमड़ी ने मुर्गे से नीचे आकर गले मिलने का आग्रह किया, ताकि वह उसे पकड़ सके।
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मुर्गा समझ गया कि यह लोमड़ी की चाल है और उसने अपनी चतुराई से जवाब दिया कि शिकारी कुत्ते भी दोस्त बनकर आ रहे हैं।
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शिकारी कुत्तों का नाम सुनते ही लोमड़ी डर गई और वहां से तुरंत भाग गई।
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मुर्गा अपनी चतुराई से खुश हुआ और उसकी जान बच गई।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमेशा समझदारी से काम लेना चाहिए
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और मीठी बातों में आकर धोखा नहीं खाना चाहिए। मुसीबत में दिमाग ठंडा रखकर सोचना चाहिए।
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