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एक घने जंगल में मोनू नाम का एक चालाक बंदर रहता था, जो अपनी शरारतों और चतुराई के लिए मशहूर था।
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एक दिन एक किसान जंगल में नारियल के पेड़ के पास आराम कर रहा था, और उसके पास नारियल से भरी एक टोकरी थी, जिसे वह बेचने की सोच रहा था।
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मोनू ने किसान को पानी पीने के लिए झरने पर भेजने की चालाकी की, जिससे किसान टोकरी छोड़कर चला गया।
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जैसे ही किसान झरने पर गया, मोनू ने टोकरी से सारे नारियल उठाकर पेड़ पर ले जाकर छुपा दिए।
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किसान वापस आकर जब खाली टोकरी देखता है, तो उसे बहुत गुस्सा आता है और वह नारियल चुराने वाले को खोजने लगता है।
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मोनू ने मजाक करते हुए पेड़ से कहा कि नारियल वापस पाने के लिए किसान को उसे दो केले देने होंगे।
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किसान ने मोनू की शर्त मानते हुए उसे केले दिए, जिसके बाद मोनू ने नारियल वापस कर दिए।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि चतुराई का उपयोग समझदारी और सही उद्देश्य के लिए करना चाहिए,
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और दूसरों की मेहनत की कद्र करनी चाहिए। शरारतें मजेदार हो सकती हैं, मगर उनकी सीमा पार नहीं करनी चाहिए।
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