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यह कहानी दो सियारों की है जो जंगल में एक ढोल की आवाज सुनकर उसे मोटे शिकार का खजाना मान लेते हैं, परंतु वह ढोल खोखला निकलता है।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि बाहरी दिखावे पर भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि जो चीजें बाहर से आकर्षक दिखती हैं, वे अंदर से खोखली हो सकती हैं।
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कहानी में बताया गया है कि युद्ध के बाद एक ढोल जंगल में छूट जाता है, जो तूफानी हवा के कारण सूखे पेड़ की टहनियों से टकराकर आवाज करता है।
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सियार इस आवाज से डरता है और सोचता है कि यह कोई बड़ा और खतरनाक जीव है, लेकिन बाद में उसे पता चलता है कि यह सिर्फ एक ढोल है।
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सियार अपनी साथी सियारी को इस लजीज शिकार के बारे में बताता है और दोनों मिलकर ढोल को फाड़ने की कोशिश करते हैं।
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जब वे ढोल के अंदर हाथ डालते हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि वहां कुछ नहीं है, सिर्फ एक-दूसरे के हाथ मिलते हैं।
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इस घटना से सियार और सियारी निराश होते हैं और समझते हैं कि उनकी मेहनत बेकार गई।
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कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई को पहचानना जरूरी है और दिखावे में नहीं फंसना चाहिए।
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यह एक प्रेरक कहानी है जो जीवन में चतुराई और नैतिकता की अहमियत को दर्शाती है।
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कहानी बच्चों को सिखाती है कि बिना सोचे-समझे किसी चीज़ की ओर आकर्षित नहीं होना चाहिए।
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