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यह कहानी नीलगिरी जंगल के दो दोस्तों, बंदर चीकू और सियार धूर्जट की है, जिसमें दोस्ती और विश्वासघात के बीच का संघर्ष दिखाया गया है।
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चीकू, जो भोला और मददगार था, ने अपने लालची दोस्त धूर्जट को जामुन के एक गुप्त पेड़ का पता बताया, जहाँ बहुत सारे फल थे।
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धूर्जट ने चीकू के विश्वास का दुरुपयोग किया और लालच में आकर तीन दिन तक अकेले जामुन खाए, बाकी जामुनों को बर्बाद कर दिया।
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जब चीकू को धूर्जट के धोखे का पता चला, तो वह बहुत दुखी हुआ और धूर्जट को माफ कर दिया, लेकिन उसकी सच्चाई जंगल के अन्य जानवरों को बता दी।
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धूर्जट को अपनी करनी का फल मिला; उसे जंगल के अन्य जानवरों ने नकार दिया और वह अकेला रह गया।
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इस कहानी से एक महत्वपूर्ण सीख मिलती है कि दोस्ती में विश्वास सबसे महत्वपूर्ण है और एक बार टूटने पर इसे वापस पाना मुश्किल होता है।
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कहानी यह भी सिखाती है कि किसी पर आँखें बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए; दोस्त की ईमानदारी और स्वभाव को समझना ज़रूरी है।
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लालच और धोखे से क्षणिक सुख मिल सकता है, लेकिन यह सच्ची दोस्ती और सम्मान को हमेशा के लिए खो देता है।
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चीकू ने इस घटना से सीखा कि दोस्त बनाते समय समझदारी से काम लेना चाहिए और केवल मीठी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
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कहानी बच्चों को यह भी सिखाती है कि एक धोखेबाज दोस्त सबसे बड़ा दुश्मन हो सकता है, इसलिए सही दोस्तों का चुनाव करना चाहिए।
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