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यह कहानी एक धोबी और उसके गधे की है, जिसे धोबी बहुत प्यार करता था और फूलों की माला से सजाता था।
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एक दिन धोबी को रास्ते में एक चमकता हुआ पत्थर मिला, जिसे उसने गधे के गले में बांध दिया, जिससे गधा और भी सुंदर दिखने लगा।
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एक जौहरी की नजर उस पत्थर पर पड़ी और उसने धोबी को पत्थर खरीदने के लिए पैसे देने की पेशकश की, लेकिन धोबी ने मना कर दिया।
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जौहरी ने पत्थर के लिए पांच हजार रुपये देने की पेशकश की, लेकिन धोबी ने हंसते हुए बताया कि उसने वह पत्थर दो लाख रुपये में बेच दिया है।
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जौहरी को अफसोस हुआ क्योंकि वह पत्थर असल में दस लाख रुपये का हीरा था, जिसे उसने लालच में खो दिया।
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कहानी यह सिखाती है कि लालच और धोखा देने की प्रवृत्ति से अंततः अपना ही नुकसान होता है।
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धोबी ने अपनी सरलता और संतोष के कारण दो लाख रुपये कमा लिए,
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जबकि जौहरी लालच और धोखे में पड़कर हीरा खो बैठा।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि ईमानदारी और संतोष से अधिक मूल्यवान कुछ नहीं होता।
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