एक पंथ दो काज: राजू का मेहनती सफर

Jul 12, 2025, 05:08 PM

राजू का मेहनती सफर

यह कहानी राजू नामक एक मेहनती लड़के की है, जो अपनी पढ़ाई और जिम्मेदारियों को एक साथ संभालता है, जिससे उसे मेहनत और चतुराई का सबक मिलता है।

राजू का मेहनती सफर

राजू का परिवार एक छोटे से गांव में रहता है, जहां उसके पिता मनसा कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाते हैं और राजू आठवीं कक्षा का छात्र है।

राजू का मेहनती सफर

कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने पर राजू घर पर पढ़ाई करता है और अपने माता-पिता की मदद भी करता है।

राजू का मेहनती सफर

एक दिन राजू ने 'एक पंथ दो काज' मुहावरे का अर्थ अपने पिता से पूछा, जिन्होंने उसे समझाया कि इसका मतलब एक ही समय में दो काम करना होता है।

राजू का मेहनती सफर

राजू की मां ने उसे गधों को जंगल में ले जाकर पढ़ाई करने की सलाह दी, जिससे वह गधों की देखभाल भी कर सके और पढ़ाई भी।

राजू का मेहनती सफर

जंगल में एक शरारती गधे की देखभाल करते हुए, राजू ने उसकी पीठ पर बैठकर पढ़ाई करने की चतुर तरकीब निकाली।

राजू का मेहनती सफर

गांववाले राजू की इस मेहनत को देखकर उसकी तारीफ करते हैं, जिससे राजू को पढ़ाई और जिम्मेदारियों को एक साथ निभाने में मजा आता है।

राजू का मेहनती सफर

राजू की इस कहानी से बच्चों को प्रेरणा मिलती है कि सही प्लानिंग से हर काम आसान हो सकता है

राजू का मेहनती सफर

और जिम्मेदारियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।