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यह कहानी राजू नामक एक मेहनती लड़के की है, जो अपनी पढ़ाई और जिम्मेदारियों को एक साथ संभालता है, जिससे उसे मेहनत और चतुराई का सबक मिलता है।
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राजू का परिवार एक छोटे से गांव में रहता है, जहां उसके पिता मनसा कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाते हैं और राजू आठवीं कक्षा का छात्र है।
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कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने पर राजू घर पर पढ़ाई करता है और अपने माता-पिता की मदद भी करता है।
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एक दिन राजू ने 'एक पंथ दो काज' मुहावरे का अर्थ अपने पिता से पूछा, जिन्होंने उसे समझाया कि इसका मतलब एक ही समय में दो काम करना होता है।
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राजू की मां ने उसे गधों को जंगल में ले जाकर पढ़ाई करने की सलाह दी, जिससे वह गधों की देखभाल भी कर सके और पढ़ाई भी।
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जंगल में एक शरारती गधे की देखभाल करते हुए, राजू ने उसकी पीठ पर बैठकर पढ़ाई करने की चतुर तरकीब निकाली।
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गांववाले राजू की इस मेहनत को देखकर उसकी तारीफ करते हैं, जिससे राजू को पढ़ाई और जिम्मेदारियों को एक साथ निभाने में मजा आता है।
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राजू की इस कहानी से बच्चों को प्रेरणा मिलती है कि सही प्लानिंग से हर काम आसान हो सकता है
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और जिम्मेदारियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
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