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यह कहानी एक बुढ़िया की है जो गाँव में मीठे आम बेचती है और उसे "आम वाली अम्मा" कहा जाता है।
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मोनू नामक एक शरारती लड़के ने बुढ़िया से आम खरीदा और उसे बेहद मीठा पाया।
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मोनू ने अपने दोस्त सोनू से मज़ाक करते हुए कहा कि आम खट्टा है, जिससे सोनू निराश हो गया।
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बुढ़िया ने मोनू की शरारत को समझा और दोनों बच्चों को एक मज़ेदार खेल सिखाया जिसमें सच्चाई का महत्व बताया गया।
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खेल के दौरान, झूठ बोलने वाले को एक आम वापस टोकरी में रखना होता था, जिससे बच्चों ने सच्चाई का मूल्य समझा।
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बुढ़िया ने बच्चों को अपने आम के बगीचे की सैर कराई और बताया कि उसके आम मेहनत और प्यार से उगाए जाते हैं।
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बच्चों ने पहली बार बगीचे में आम तोड़ने का अनुभव किया और बुढ़िया के साथ एक नई दोस्ती की शुरुआत की।
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कहानी सिखाती है कि सच्चाई बोलना जरूरी है और मेहनत व प्यार से किए गए काम का परिणाम हमेशा मीठा होता है।
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बच्चों ने बुढ़िया से सीखा कि दोस्ती में मज़े करना चाहिए, लेकिन सच्चाई को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
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