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चीकू एक नटखट और चहेता लड़का था, जो अपनी चपलता और शरारतों से गाँव के लोगों को हंसा देता था।
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एक दिन, चीकू ने अपने दोस्तों गट्टू और मीनू के साथ मिलकर गाँव के बरगद के पेड़ पर चढ़कर लोगों को डराने की योजना बनाई।
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जब चीकू ने पेड़ पर चढ़कर "भूत" होने का नाटक किया, तो गाँव वाले दौड़कर वहां पहुंचे, लेकिन असलियत जानकर हंस पड़े।
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गाँव के बुजुर्ग दादाजी ने चीकू को समझाया कि ऐसी शरारतें खतरनाक हो सकती हैं, खासकर अगर लोग इसे मजाक समझकर असली मुसीबत में मदद न करें।
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दादाजी की बातों से चीकू ने सीखा कि मस्ती-मजाक की भी एक सीमा होती है और इसे सोच-समझकर करना चाहिए।
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चीकू ने दादाजी से माफी मांगी और वादा किया कि वह आगे से ऐसी शरारतें नहीं करेगा जो किसी को नुकसान पहुंचाएं।
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इस घटना के बाद, चीकू ने अपनी शरारतों में बदलाव किया और लोगों को हंसाने के लिए सुरक्षित तरीकों का सहारा लिया।
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कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि मस्ती और मजाक अच्छे होते हैं,
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लेकिन उन्हें जिम्मेदारी से करना चाहिए ताकि किसी को परेशानी न हो।
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