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यह कहानी रमेश नामक व्यक्ति की है, जो अपने बगीचे के फूलों को चोरी होते देख गुस्से में आ जाता है और चोर को सबक सिखाने की योजना बनाता है।
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रमेश अपने पड़ोसी लालू को चोर समझता है, जो सुबह-सुबह फूल चुराता है। उसकी योजना है कि वह लालू को पकड़कर शर्मिंदा करेगा।
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रमेश अपने पड़ोसियों से लालू की जानकारी जुटाता है और छत पर खड़े होकर चोर का इंतजार करता है।
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रमेश को एक अप्रत्याशित मोड़ का सामना करना पड़ता है जब उसे पता चलता है कि लालू की माँ बीमार है और वह पूजा के लिए फूल चुराता है।
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रमेश लालू के घर जाकर उससे पूछता है कि वह फूल क्यों चुराता है,
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और लालू बताता है कि उसकी माँ को पूजा के लिए फूल चाहिए होते हैं।
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रमेश का गुस्सा शांत हो जाता है और वह लालू को फूल उगाने के लिए बीज और गमले देने का प्रस्ताव करता है।
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कहानी हमें सिखाती है कि गुस्से में निर्णय लेने से पहले स्थिति को समझना चाहिए और सहानुभूति का महत्व है।
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यह प्रेरणादायक कहानी हमें दूसरों के प्रति मददगार और दयालु बनने की सीख देती है, जिससे रिश्ते मधुर होते हैं।
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