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"मूर्ख मित्र और सियार" एक प्राचीन कथा है जिसमें एक राजा अपने मूर्ख बंदर मित्र की हरकतों से परेशान होकर उसे जंगल में भगा देता है।
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बंदर की मूर्खता के कारण राजा घायल हो जाता है, जिससे राजा गुस्से में उसे जंगल में निर्वासित कर देता है।
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जंगल में बंदर की मुलाकात चतुर सियार से होती है, जो उसे शेर से मिलवाता है और उसकी जान बचाता है।
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सियार बंदर को सिखाता है कि बुद्धि ही सबसे बड़ा हथियार है और उसके साथ रहने से बंदर को बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
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शेर के सामने सियार अपनी चतुराई से बंदर को एक और मौका दिलवाता है, लेकिन शेर चेतावनी देता है कि मूर्खता दोबारा नहीं होनी चाहिए।
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बंदर जंगल में सियार के साथ रहकर फल इकट्ठा करना, खतरे से बचना और दूसरों की मदद करना सीखता है।
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एक दिन जंगल में आग लगने पर सियार की चतुराई से सभी जानवरों की जान बचती है, जिससे बंदर को सच्ची मित्रता का अर्थ समझ आता है।
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समय के साथ सियार और बंदर अच्छे दोस्त बन जाते हैं, और बंदर अपनी मूर्खता छोड़कर बुद्धि का महत्व समझता है।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि मूर्खता मुश्किल में डाल सकती है, लेकिन सच्ची दोस्ती और बुद्धिमानी से समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।
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