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यह कहानी एक राजा की है, जो अपने राज्य में भेष बदलकर घूमते हुए एक संतोषी किसान से मिलता है।
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किसान को देखकर राजा को दया आती है और वह उसे चार सोने की मुद्राएँ देना चाहता है, लेकिन किसान इन्हें लेने से मना कर देता है।
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किसान कहता है कि वह रोज़ चार पैसे कमाता है और उसी में बहुत खुश रहता है, क्योंकि वह अपने पैसों का सही इस्तेमाल करता है।
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किसान के अनुसार, पहला पैसा वह अपने परिवार की देखभाल में खर्च करता है, दूसरा अपने माता-पिता की सेवा में लगता है, तीसरा अपने बच्चों की पढ़ाई में और चौथा बचत के रूप में रखता है।
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राजा को किसान की यह बात समझ नहीं आती और वह उसे दरबार में बुलाकर इसका मतलब पूछता है।
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किसान समझाता है कि असली खुशी पैसे की मात्रा में नहीं, बल्कि उसे सही जगह इस्तेमाल करने में है।
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राजा किसान की समझदारी से प्रभावित होकर उसे इनाम देना चाहता है, लेकिन किसान इनाम को भी विनम्रता से ठुकरा देता है।
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इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने पास जो कुछ है, उसमें संतुष्ट रहना चाहिए और अपने पैसे का सही इस्तेमाल करना चाहिए।
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कहानी बच्चों को सिखाती है कि लालच करने से खुशी नहीं मिलती और हमें अपने परिवार की देखभाल, माता-पिता का सम्मान और दूसरों की मदद करनी चाहिए।
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यह कहानी संतोष और सही तरीके से जीवन जीने के महत्व को दर्शाती है।
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