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यह लेख दुखों से मुक्ति और सदा खुश रहने के रहस्य को उजागर करता है, जिसमें बताया गया है कि असली खुशी हमारे भीतर होती है, बाहर नहीं।
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भगवान बुद्ध ने एक अमीर व्यापारी को जीवन का यह सत्य समझाया कि भौतिक सुख-सुविधाओं के बावजूद भी मन की शांति और खुशी अंदर से आती है।
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व्यापारी के पास धन-संपत्ति और प्रतिष्ठा होने के बावजूद वह खुश नहीं था और बुद्ध से सदा प्रसन्न रहने का रहस्य जानने की इच्छा प्रकट की।
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बुद्ध ने व्यापारी को एक भारी पत्थर उठाने को कहा और उसे महसूस कराया कि जैसे पत्थर का बोझ असहनीय हो जाता है, वैसे ही दुखों का बोझ भी होता है।
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व्यापारी ने पत्थर को नीचे रखकर अद्भुत राहत महसूस की,
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जिससे उसे समझ आया कि दुखों का बोझ छोड़ देने से ही मन की शांति मिलती है।
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बुद्ध ने समझाया कि जीवन में अपमान, असफलताएं और कड़वी यादों को ढोते रहना दुखों का बोझ उठाने जैसा है, जिसे छोड़ना जरूरी है।
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दुखों से मुक्ति के लिए हमें अतीत की नकारात्मकता को छोड़कर वर्तमान का आनंद लेना सीखना चाहिए।
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असली स्वतंत्रता इच्छाओं से रहित होकर और वर्तमान में संतोष पाकर मिलती है, जो सदा खुश रहने का रहस्य है।
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