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दो मछलियां, सहसराबुद्धि और सताबुद्धि, एक तालाब में मेंढक एकाबुद्धि के साथ रहती थीं और तीनों बहुत अच्छे दोस्त थे।
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एक दिन, मछवारों ने तालाब के पास से गुजरते हुए कहा कि वे अगले दिन वहां मछलियां पकड़ने आएंगे, जिससे मेंढक चिंतित हो गया।
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मेंढक ने अपने दोस्तों को आगाह किया कि उन्हें इस खतरे से बचने के लिए या तो भागना या छिपना चाहिए, लेकिन मछलियों ने इसे हल्के में लिया।
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दोनों मछलियों ने आत्मविश्वास में कहा कि वे मछवारों से निपट सकती हैं और अपने पूर्वजों का घर नहीं छोड़ेंगी।
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मेंढक ने अपने परिवार के साथ एक और तालाब में जाने का निर्णय लिया और ऐसा ही किया।
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अगले दिन, मछवारे आए और मछलियों को पकड़ लिया; उनकी चालाकी और आत्मविश्वास काम नहीं आया, और वे मारी गईं।
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मेंढक ने अपने परिवार को सुरक्षित रखा और अपने दोस्तों की मौत पर शोक व्यक्त किया।
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कहानी से सीख मिलती है कि सतर्कता, समझदारी और दूरदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण हैं, और आत्मविश्वास को अहंकार में नहीं बदलना चाहिए।
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सही समय पर सही निर्णय लेना और खतरों को पहचानना आवश्यक है, जैसा कि मेंढक ने किया।
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यह कहानी सतर्कता और दूरदर्शिता की महत्वपूर्ण सीख देती है, जो किसी भी खतरे से बचने के लिए जरूरी है।
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