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धनीराम नाम का एक किसान, जो 50 बीघा जमीन का मालिक था, अपनी कंजूसी के लिए गांव में मशहूर था। वह खुद अपनी फसल की रखवाली करता था और तम्बाकू के शौक के बावजूद उसे दूसरों से मांगकर पूरा करता था।
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धनीराम का खेत मुख्य सड़क के किनारे था, जहां वह राहगीरों को मीठी बोली में तम्बाकू पीने का निमंत्रण देता था, लेकिन खुद तम्बाकू साथ नहीं रखता था। वह राहगीरों से तम्बाकू मांगकर अपना शौक पूरा करता था।
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एक दिन एक चतुर ठग धनीराम के पास आया। धनीराम ने हमेशा की तरह तम्बाकू मांगी, और ठग ने खुशी-खुशी उसे अपनी तम्बाकू दे दी।
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ठग ने धनीराम को नशीली तम्बाकू दी, जिससे धनीराम बेहोश हो गया। ठग ने मौके का फायदा उठाकर धनीराम के गहने चुरा लिए।
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होश में आने पर, धनीराम ने अपने गहने गायब पाए और अपनी कंजूसी पर पछताया। इस घटना ने उसे व्यर्थ की कंजूसी और तम्बाकू पीने की आदत से मुंह मोड़ने पर मजबूर कर दिया।
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यह कहानी धनीराम की कंजूसी और इसके परिणाम के बारे में है, जो बताती है कि कभी-कभी अत्यधिक कंजूसी नुकसानदायक हो सकती है।
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कहानी बच्चों के लिए एक मजेदार और शिक्षाप्रद कहानी के रूप में प्रस्तुत की गई है,
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जो उन्हें जीवन के कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाती है।
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कहानी का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ बच्चों को नैतिक शिक्षा देना है।
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