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कहानी का शीर्षक "चाॅकलेट चोर" है, जिसमें किरन अपनी खोई हुई चाॅकलेट के लिए अपने भाई वरूण से सवाल करती है, लेकिन वरूण इस बात से अनजान होने का दावा करता है।
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किरन रोने लगती है और चाचा जी के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराती है, जिसके बाद चाचा जी दोनों बच्चों को अपने कमरे में ले जाते हैं।
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चाचा जी बच्चों को वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु और उनके क्रेस्कोग्राफ यंत्र के बारे में बताते हैं, जो पौधों की प्रतिक्रियाओं को माप सकता है।
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चाचा जी एक पाॅलीग्राफ यंत्र का उपयोग करके वरूण से पूछते हैं कि क्या उसने चाॅकलेट ली है। वरूण ने इनकार किया और यंत्र भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाता, जिससे साबित होता है कि वरूण सच बोल रहा है।
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किरन परेशान होती है कि उसकी चाॅकलेट कहां गई। तभी उनका पालतू कुत्ता टाॅमी वहां आता है।
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वरूण मजाक में टाॅमी से पूछता है कि क्या उसने चाॅकलेट चुराई है, जिस पर टाॅमी जोर से भौंकता है।
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पाॅलीग्राफ यंत्र टाॅमी की भौंक पर प्रतिक्रिया करता है, और चाचा जी बताते हैं कि चोर टाॅमी है,
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क्योंकि उसके पंजे पर चाॅकलेट लगी है और उसके मुंह से चाॅकलेट की गंध आ रही है।
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किरन टाॅमी को माफ करते हुए उसके कान उमेठती है, और टाॅमी अपनी गलती के लिए माफी मांगता है।
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