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यह कहानी एक हास्यप्रद घटना पर आधारित है, जहां भईया, जो यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं, अपनी शरारतों के किस्से सुनाते हैं।
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भईया और उनके दोस्त एक रात हॉस्टल में बोर होकर चाय पीने के लिए बाहर निकलते हैं और वापस लौटते समय उन्हें एक गधे का बच्चा मिलता है।
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शरारत के मूड में, वे गधे के बच्चे को हॉस्टल के अंदर ले आते हैं, हालांकि यह आसान काम नहीं होता और इस प्रक्रिया में बख्शी जी का चश्मा टूट जाता है।
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गधे को अंदर लाने के बाद, उसे एक कमरे में बंद करने की समस्या आती है। वे चालाकी से गोयल साहब के कमरे का ताला खोलकर गधे को अंदर बंद कर देते हैं।
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जब गोयल साहब वापस लौटते हैं और अपने कमरे में घुसते हैं, तो गधा अचानक खड़ा हो जाता है, जिससे कमरे में एक अजीब स्थिति उत्पन्न होती है।
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गोयल साहब घबराकर वार्डन के पास जाते हैं, जबकि गधा कमरे में हंगामा मचाता रहता है।
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अगले दिन, वार्डन के सामने जब इस शरारत की पूछताछ होती है, तो बख्शी जी मजाक में कहते हैं कि गधा भाईचारे के नाते खुद ही कमरे में आ गया होगा।
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इस मजाकिया उत्तर पर वार्डन हंस पड़ते हैं और इस तरह से सभी की जान बचती है।
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कहानी के अंत में, जब पापा कमरे में आते हैं और मजाक में कहते हैं कि हॉस्टल का गधा हमारे घर में घुस आया है, तो सभी हंसने लगते हैं।
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