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एक समय की बात है, दियत्स नामक नगरी एक नदी के किनारे बसी हुई थी, जहाँ का राजा बहुत मूर्ख और सनकी था।
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एक दिन राजा ने अपने मंत्री से पूछा कि नदी किस दिशा में बहती है, जिस पर मंत्री ने बताया कि यह पूर्व दिशा में बहकर समुद्र में मिल जाती है।
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राजा ने गुस्से में आकर आदेश दिया कि नदी पर बांध बनाकर पानी रोक दिया जाए ताकि पूर्व दिशा के देश इसका उपयोग न कर सकें।
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मंत्री ने राजा के आदेश का पालन करते हुए बांध बनवा दिया, लेकिन इससे शहर में पानी भरने लगा और लोग परेशान हो गए।
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मंत्री ने एक योजना बनाई और महल के घंटा बजाने वाले को रात में दोगुना घंटा बजाने का आदेश दिया ताकि लोग समझें कि सुबह हो गई है।
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राजा ने मंत्री से पूछा कि सूरज क्यों नहीं निकला, जिस पर मंत्री ने कहा कि शायद पूर्व के देशों ने सूरज को रोक दिया है क्योंकि हमने उनका पानी रोक दिया था।
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मंत्री ने सुझाव दिया कि यदि राजा नदी का पानी छोड़ दें, तो शायद सूरज भी निकल आएगा।
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राजा ने बांध तोड़ने का आदेश दिया और जैसे ही बांध टूटा, सूरज उग आया, जिससे राजा बहुत खुश हुआ।
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राजा ने मंत्री को इनाम दिया और कहा कि अब उनके राज्य में कभी अंधेरा नहीं रहेगा।
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मंत्री ने विनम्रता से कहा कि यह उसका फर्ज था।
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