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यह कहानी दिल्ली के राजनगर इलाके के एक अपार्टमेंट में रहने वाले 10 साल के लड़के, विवान की है, जिसे नई बातें सीखने का शौक था, लेकिन वह बिना समझे रट्टा मारकर याद करता था।
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एक दिन विवान की मुलाकात एक बोलने वाले तोते 'रट्टू' से होती है, जो इंसानों की तरह बातें करता था और उसका काम भी रटना था।
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रट्टू ने विवान से सवाल-जवाब का खेल खेला, जिससे विवान को एहसास हुआ कि केवल रटना काफी नहीं है, समझना भी जरूरी है।
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रट्टू हर रोज़ विवान से सवाल पूछने लगा जैसे "बारिश क्यों होती है?" और "सूरज किस दिशा से उगता है?" जिससे विवान ने रट्टा मारने की बजाय समझने की कोशिश शुरू की।
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विवान ने स्कूल में सवाल पूछने शुरू कर दिए और उसकी समझ में सुधार हुआ, जिससे उसके शिक्षक भी प्रभावित हुए।
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कहानी का निष्कर्ष यह है कि रटना बुरा नहीं है, लेकिन समझना सबसे महत्वपूर्ण है। सवाल पूछना और जवाब समझना असली ज्ञान है।
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रट्टू तोता विवान को जीवन का बड़ा पाठ सिखाता है, जिससे विवान की सोच में परिवर्तन आता है और वह समझने की अहमियत समझता है।
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यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि ज्ञान की असली कुंजी समझने में है,
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और कभी-कभी सबसे बड़ी शिक्षा एक साधारण तोता भी दे सकता है।
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