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प्रकाश, जो आठवीं कक्षा में पढ़ता था, नियमित रूप से सुबह जल्दी उठकर पार्क में घूमने जाता था।
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एक दिन पार्क से लौटने पर, उसने देखा कि दूध का स्वाद अजीब था और उसमें गंध थी। उसकी मां ने बताया कि यह दूध उनकी गाय गौरी का नहीं था, क्योंकि गौरी को उसके पिताजी ने बेच दिया था।
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गौरी की देखभाल करने वाला व्यक्ति काम छोड़ कर चला गया था और दूसरा व्यक्ति अधिक पैसे मांग रहा था, इसलिए पिताजी ने गौरी को बेच दिया।
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गौरी के जाने से प्रकाश का मन उदास हो गया और उसे उसकी बहुत याद आने लगी।
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स्कूल से आकर वह अक्सर गौरी के पुराने स्थान पर जाता, जहां अब सब सूना था।
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प्रकाश ने अपने पिताजी से गौरी को वापस लाने का अनुरोध किया और वादा किया कि वह खुद उसकी देखभाल करेगा।
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पिताजी ने प्रकाश की बात मान ली और गौरी को वापस घर ले आए।
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गौरी के वापस आने से प्रकाश बहुत खुश हुआ और पूरे घर में खुशियाँ लौट आईं।
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गौरी भी अपनी खुशी का इजहार कर रही थी और उसका बछड़ा मोती भी खुशी से उछल-कूद कर रहा था।
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