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बग्गन मियां खुद को नवाबी खानदान का बताते थे, लेकिन उनकी असल हालत विपरीत थी। बाहर दिखावा करते थे, जबकि घर में हालात तंग थे।
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उनकी हवेली में एक दिन रोने की आवाज सुनाई दी, जहां बग्गन मियां एक पोटली देखकर जोर-जोर से रो रहे थे, और उनके आंसू लगातार बह रहे थे।
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लोगों ने जब मामला जानना चाहा, तो बग्गन मियां ने बताया कि उनके प्यारे मुर्गे, मंझले नवाब की मौत हो गई थी।
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बग्गन मियां को कानपुर में शहजादे के महल में चाय के लिए बुलाया गया था, जिसके लिए उन्होंने अपनी बग्घी तैयार करवाई थी।
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बग्गन मियां के साईस बनने मियां, जो नशेड़ी थे, ने गलती से घोड़े की जगह मंझले नवाब को बग्घी में जोत दिया।
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मंझले नवाब ने बिना उफ किए बग्गन मियां को महल तक पहुंचा दिया, लेकिन अंततः वह शहीद हो गए।
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बग्गन मियां ने दुख भरे दिल से मंझले नवाब के लहुलुहान शरीर और परों को यादगार के तौर पर दिखाया।
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यह कहानी बग्गन मियां के दिखावे और मंझले नवाब की वफादारी को दर्शाती है,
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जो लोगों के लिए एक मजेदार और सीख देने वाली घटना बन गई।
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