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एक रात शालू अपने बिस्तर पर लेटी थी जब अचानक बिजली चमकी और उसने खिड़की के पास एक बुढ़िया को हवा में उड़ते देखा।
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बुढ़िया ने शालू को जादू की छड़ी दी और बताया कि इसे घुमाकर किसी भी चीज़ को गायब किया जा सकता है।
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अगले दिन शालू स्कूल में छड़ी लेकर गई और उसने अपनी सहपाठियों की किताबें और पेंसिलें गायब कर दीं।
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घर लौटने पर शालू की शरारतें जारी रहीं और उसने रसोई के दरवाजे के सामने रखी कुर्सी गायब करने की कोशिश की।
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गलती से उसकी माँ कुर्सी की जगह गायब हो गई, जिससे शालू बहुत घबरा गई और रोने लगी।
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बुढ़िया फिर से प्रकट हुई और शालू की माँ को वापस लाने की पेशकश की, लेकिन इसके बदले में जादू की छड़ी वापस ले ली।
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शालू ने खुशी-खुशी अपनी माँ को वापस पाकर बुढ़िया का धन्यवाद करना चाहा,
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लेकिन तब तक बुढ़िया बादलों में गायब हो चुकी थी।
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इस कहानी से शालू ने सीखा कि शरारतें कभी-कभी बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
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