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वगडावर नामक गांव में ननकी नाम की एक लड़की रहती थी, जिसे पास की पोसी नदी से गहरा लगाव था। वह नदी के किनारे-किनारे स्कूल जाती और वहां की प्रकृति का आनंद लेती थी।
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एक दिन ननकी ने एक मछली को डाली में फंसा देखा और उसे मुक्त किया, जो बाद में एक जलपरी में बदल गई। जलपरी ने अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए ननकी को एक विशेष विद्या सिखाई।
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इस विद्या के माध्यम से ननकी किसी भी प्राणी को 'चिपक जाओ' कहकर उसकी गतिविधियों को रोक सकती थी और 'खुल जाओ' कहकर उन्हें मुक्त कर सकती थी।
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ननकी ने इस विद्या का परीक्षण बगुले और कौवे पर किया, जिससे वह उनकी शिकार से बचा सकी। इससे ननकी को खुशी मिली और उसने अपनी विद्या की ताकत को समझा।
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गांव में ननकी की इस अद्भुत विद्या की चर्चा होने लगी, जिससे लोग उससे डरने लगे और उसका सम्मान करने लगे।
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एक दिन गांव के पास के जंगल में एक आदमखोर शेर आ गया। गांववालों ने ननकी से मदद मांगी, और वह राजी हो गई।
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ननकी ने शेर को खोजकर 'चिपक जाओ' कहकर उसकी गतिविधि रोक दी, जिससे गांववाले शेर को सुरक्षित रूप से गांव ला सके।
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चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने शेर को लेने के लिए गांव का दौरा किया। ननकी ने शेर को पिंजड़े में बंद करने के बाद 'खुल जाओ' कहकर मुक्त किया और शेर को चिड़ियाघर भेज दिया।
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ननकी की इस साहसिक कार्य के लिए चिड़ियाघर के अधिकारियों ने उसका धन्यवाद किया, और शेर अब चिड़ियाघर में सुरक्षित कैद है।
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