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एक दिन एक बाग में चीकू और सेब अपनी सुंदरता और गुणों को लेकर बहस में लिप्त थे, जहाँ दोनों खुद को श्रेष्ठ साबित करना चाह रहे थे।
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चीकू ने अपनी चमकदार त्वचा और मीठे रस की तारीफ की, जबकि सेब ने अपनी चमक और स्वास्थ्यवर्धक गुणों को श्रेष्ठ बताया।
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बहस इतनी बढ़ गई कि बाग के अन्य फल भी इसे देखने के लिए इकट्ठा हो गए और अपनी-अपनी राय देने लगे।
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बहस का कोई निष्कर्ष नहीं निकल रहा था, जब तक कि बगीचे के कोने में खड़ा एक बूढ़ा पेड़ हस्तक्षेप नहीं करता।
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बूढ़े पेड़ ने दोनों को समझाया कि हर फल के अपने-अपने गुण होते हैं और कोई भी फल अधिक या कम सुंदर नहीं होता।
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उसने चीकू और सेब को अपने मतभेद भूलकर मिलकर रहने की सलाह दी, जिससे उनकी खूबसूरती और गुणों की पहचान और अधिक बढ़ेगी।
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चीकू और सेब ने बूढ़े पेड़ की बात समझी और एक-दूसरे से माफी मांगकर हाथ मिला लिया।
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इस घटना से बगीचे के सभी फलों ने समझदारी की सराहना की और यह महसूस किया कि झगड़े से कुछ भी हासिल नहीं होता।
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कहानी की नैतिक शिक्षा यह है कि समझदारी से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है और मिलजुलकर रहने में ही जीवन का असली आनंद है।
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