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गाँव में लगातार हो रही चोरियों से लोग चिंतित और भयभीत थे। रात का अंधेरा होते ही गाँव की गलियों में सन्नाटा छा जाता और लोग अपने घरों में दुबक जाते।
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गाँव के कुछ साहसी नवयुवकों और किशोरों ने मिलकर एक गश्ती दल बनाया, जो रात भर गलियों में घूमकर पहरा देने लगे। पर चोर सावधानी से अपना काम करते और पकड़े नहीं जाते।
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नवयुवकों ने अपनी निगरानी और सख्त कर दी थी। वे टोलियों में जाकर 'सावधान' और 'जागत़े रहो' की ऊंची आवाजें लगाते थे।
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राजू, संदीप और मदन ने रात में एक रहस्यमयी औरत को देखा, जो अकेली गली में घूम रही थी। उन्हें शक हुआ कि चोरियों और इस औरत के बीच कोई संबंध है।
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गश्ती दल के लड़कों ने ठान लिया कि वे औरत को पकड़कर उसके रहस्यमय व्यवहार का कारण जानेंगे।
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एक रात, तीनों दोस्तों ने चुपके से उस औरत का पीछा किया और देखा कि वह उल्लू जैसी आवाज निकालकर चोरों को बुला रही थी।
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लड़कों ने चोरों को रंगे हाथों पकड़ लिया। गाँव वालों को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि चोर गाँव के ही युवक थे, जो नशे के आदी थे और आवारागर्दी करते थे।
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लड़कों के बहादुरी भरे कार्य के लिए गाँव वालों ने उन्हें सराहा और तालियां बजाईं। गाँव के लोगों की नजर में वे हीरो बन गए।
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पकड़े गए चोरों को उनके किए की सजा मिली और गाँव में चोरी की घटनाओं पर रोक लग गई।
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यह कहानी बच्चों के लिए मनोरंजक और साहसिक प्रेरणा का स्रोत है।
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