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शोभन अपने पिता के पास गया और बताया कि जीतू चाचा उसे एक हफ्ते के लिए दिल्ली ले जा रहे हैं। पिता ने उसे अनुमति दी, बशर्ते माँ को कोई आपत्ति न हो।
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दिल्ली में, शोभन और जीतू चाचा ने कई दिलचस्प जगहों का दौरा किया, जिसमें चिड़ियाघर, रेलवे म्यूजियम, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, जंतर मंतर और लाल किला शामिल थे।
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जनपथ की दुकानों के पास शोभन ने 'खूबसूरत दिल्ली' नाम की किताब खरीदी, जिससे वह बहुत खुश था और इसे अपनी माँ और दोस्तों को दिखाया।
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शोभन के दोस्त कार्तिक को भी वह किताब बहुत पसंद आई। उसने अपनी वीडियो गेम के बदले किताब का सौदा किया, जिसे शोभन ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।
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हालांकि, वीडियो गेम की आवाज़ से शोभन की माँ परेशान हो गईं, और शोभन को दिल्ली की याद सताने लगी, जिससे उसने किताब वापस पाने की कोशिश की।
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कार्तिक ने शोभन को बताया कि उसने वह किताब शोना को बेच दी है, लेकिन बाद में उसे वापस लौटा दिया क्योंकि शोना को कैलकुलेटर चाहिए था।
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अंत में, कार्तिक ने शोभन को किताब वापस की, और शोभन ने उसे अपनी वीडियो गेम लौटा दी।
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दोनों दोस्तों ने फिर से हाथ मिलाया।
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जीतू चाचा ने फिर से शोभन को दिल्ली आने का निमंत्रण दिया, जिससे वह बहुत खुश हुआ और उसने तुरंत हाँ कह दिया।
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