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मुल्ला नसीरूद्दीन ने एक आदमी से कुछ उधार लिया और समय पर वापस नहीं कर पाया, जिसके कारण उस आदमी ने बादशाह से शिकायत की।
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बादशाह ने मुल्ला नसीरूद्दीन को दरबार में बुलाया, जहां उस आदमी ने उधार की रकम वापस दिलाने की गुहार लगाई।
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मुल्ला नसीरूद्दीन ने स्वीकार किया कि उसने पैसे उधार लिए थे और कहा कि वह उधार चुकाने का इरादा रखता है, भले ही उसे अपना हाथी और घोड़ा बेचना पड़े।
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उस आदमी ने कहा कि मुल्ला के पास न तो हाथी है और न ही घोड़ा, और उसकी आर्थिक स्थिति भी खराब है।
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मुल्ला नसीरूद्दीन ने चतुराई से कहा कि जब उसकी हालत इतनी खराब है,
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तो वह जल्दी उधार कैसे चुका सकता है।
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बादशाह ने मुल्ला की हाजिर जवाबी को सुनकर मामला रफा-दफा कर दिया।
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मुल्ला नसीरूद्दीन अपनी बुद्धिमानी से एक बार फिर मुश्किल स्थिति से बाहर निकलने में सफल हो गया।
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यह कहानी मुल्ला नसीरूद्दीन की चतुराई और हाजिर जवाबी का एक मजेदार उदाहरण प्रस्तुत करती है।
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