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एक दिन बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं थे, जिससे बीरबल से ईर्ष्या करने वाले दरबारियों को अकबर के कान भरने का मौका मिला।
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दरबारियों ने अकबर से शिकायत की कि बीरबल को आवश्यकता से अधिक महत्व दिया जा रहा है और वे भी बीरबल जैसे कार्य कर सकते हैं।
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बादशाह अकबर ने दरबारियों की परीक्षा लेने का निर्णय लिया और पूछा कि "दुनिया में सबसे बड़ी चीज़ क्या है?" सही उत्तर न देने पर उन्हें फांसी की धमकी दी।
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दरबारियों ने एक सप्ताह का समय मांगा और अलग-अलग उत्तर सोचने लगे, लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके।
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हारकर, वे बीरबल के पास गए और प्रश्न का उत्तर जानने के लिए विनती की।
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बीरबल ने उत्तर देने के बदले अपनी शर्त रखी कि दरबारी उन्हें दरबार तक पालकी में ले चलेंगे, एक हुक्का पकड़ेगा और दूसरा उनके जूते ले चलेगा।
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दरबारियों ने मजबूरी में बीरबल की शर्त मान ली और उन्हें दरबार तक ले गए।
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दरबार में, बीरबल ने अकबर को बताया कि "दुनिया में सबसे बड़ी चीज़ गरज है," क्योंकि अपनी गरज से दरबारियों ने पालकी उठाई।
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अकबर मुस्कुराए और दरबारी सिर झुकाकर खड़े हो गए, यह दिखाते हुए कि बीरबल की चतुराई और समझदारी का कोई मुकाबला नहीं।
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