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कहानी में दो व्यापारी मामा और फूफा हैं, जो एक ऐसी वस्तु खरीदने की योजना बनाते हैं, जो जल्दी खराब न हो और जिसकी कीमत समय के साथ बढ़े।
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मामा और फूफा ने लोहा खरीदने का निर्णय लिया और इसे सुरक्षित रखने के लिए मामा के पास एक पुरानी कोठरी में रखा।
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समय के साथ, मामा के मन में लालच आ गया और उन्होंने फूफा को बताए बिना लोहा बेच दिया।
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जब फूफा ने लोहा बेचने के लिए मामा से कहा, तो मामा ने बहाना बनाते हुए कहा कि लोहा घुन खा गए हैं।
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फूफा को समझ में आ गया कि मामा ने धोखा दिया है, लेकिन वह बिना कुछ कहे वहां से चला गया।
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कुछ दिनों बाद, फूफा ने मामा के बेटे को बारात में ले जाने का प्रस्ताव दिया, और मामा ने सहमति दी।
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मामा का बेटा जब घर नहीं लौटा, तो मामा ने फूफा से पूछा, जिस पर फूफा ने कहा कि रास्ते में एक चील उसे उठा ले गई।
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मामला राजा भीम के सामने पेश हुआ, जहां फूफा ने अपनी बात को चतुराई से प्रस्तुत किया।
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राजा भीम ने मामा को आदेश दिया कि वह फूफा का लोहा वापस करे और फूफा से कहा कि वह मामा के बेटे को वापस लाए।
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कहानी हास्यपूर्ण तरीके से ईमानदारी और विश्वासघात के विषयों को उजागर करती है।
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