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कहानी दो कंजूसों की है, जिनमें से एक का नाम हजारीमल है, जो पहले से काफी धनवान होने के बावजूद और अधिक धन कमाने के उपाय सोचता रहता है।
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हजारीमल को उसका दोस्त सलाह देता है कि वह वाराणसी के लखपति से मिले, जो उसे धन कमाने के नए उपाय बता सकता है।
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हजारीमल लखपति से मिलने वाराणसी जाता है, जहां लखपति उसका स्वागत करता है और फिर दोनों भोजन के लिए एक होटल जाते हैं।
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होटल में लखपति रोटियों की गुणवत्ता के बारे में पूछता है और जब उसे बताया जाता है कि रोटियां डबल रोटी जैसी हैं, तो वह हजारीमल को डबल रोटी खाने का सुझाव देता है।
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दोनों डबल रोटी वाले के पास जाते हैं, जहां उन्हें बताया जाता है कि डबल रोटियां बिस्कुट जैसी हैं, इसलिए वे बिस्कुट खाने का निर्णय लेते हैं।
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बिस्कुट वाले से पता चलता है कि बिस्कुट मक्खन जैसे हैं, तो लखपति मक्खन खाने की बात करता है।
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मक्खन वाला बताता है कि उसका मक्खन गंगाजल जैसा है, जिसे सुनकर लखपति गंगा जल पीने का निर्णय लेता है।
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अंततः, लखपति हजारीमल को गंगा के तट पर ले जाता है और गंगाजल पीने को देता है, यह कहते हुए कि इसमें रोटी, डबल रोटी, बिस्कुट और मक्खन का स्वाद मुफ्त में मिल जाता है।
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यह कहानी हजारीमल की कंजूसी और लखपति की चतुराई को मजेदार तरीके से प्रस्तुत करती है, जो पाठकों के लिए मनोरंजक है।
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