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बहुत समय पहले की बात है, जब चीन की दीवार का निर्माण हो रहा था। सम्राट शिह हुआंग ने जबरन गांवों से कई किसानों को मजदूरी के लिए बुलाया था।
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मजदूर दिन-रात कठोर परिश्रम करते थे, लेकिन उन्हें न तो अच्छा खाना मिलता था और न ही रहने की उचित व्यवस्था। इस कारण कई मजदूर मर रहे थे।
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वान सिलांग नामक एक मजदूर की पत्नी मेंग चियांग-नू अपने पति की खबर न मिलने से चिंतित थी और उसे ढूंढने का निर्णय लिया।
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मेंग ने अपने पति के लिए गर्म कपड़े बनाए और उसे ढूंढने के लिए उत्तर दिशा की ओर चल पड़ी, जहां दीवार का निर्माण हो रहा था।
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सम्राट के सैनिकों ने मेंग को पकड़कर सम्राट के सामने पेश किया। सम्राट ने बताया कि वान जेल में है और उसने विद्रोह किया था।
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मेंग ने विनती करके अपने पति से मिलने की अनुमति मांगी और वान ने उसे मजदूरों को सम्राट के खिलाफ एकजुट करने के लिए कहा।
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मेंग ने मजदूरों को सम्राट के खिलाफ भड़काया और एक नौकर की मदद से सैनिकों के खाने में नींद की दवा मिला दी।
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मजदूरों ने सैनिकों के हथियार उठा लिए और सम्राट को घेर लिया। मेंग ने जेल का दरवाजा खोलकर कैदियों को रिहा कर दिया।
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सम्राट ने मजदूरों के साथ अच्छा व्यवहार करने का वादा किया और वान को अपना सलाहकार बना लिया। मजदूरों के खाने और रहने की व्यवस्था की गई।
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मेंग और वान की यह कहानी साहस और दृढ़ संकल्प की मिसाल बन गई, जिससे मजदूरों की स्थिति में सुधार हुआ।
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