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कहानी एक व्यक्ति की है, जिसकी पहले मसालों की दुकान थी, जहां हल्दी और मिर्च की वजह से वह हमेशा परेशान रहता था और आमदनी भी नहीं होती थी।
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उसने अपना धंधा बदलकर पुराने जूते-चप्पल इकट्ठा कर उन्हें मंडी में बेचने का काम शुरू किया, जहां उसे अच्छी सफलता मिली और मुनाफा हुआ।
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मुशायरे और कवि सम्मेलनों में जूते-चप्पल उछालने की घटनाओं से उसे मुफ्त में सामान मिलता था, जिससे उसका धंधा तेजी से बढ़ा।
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कहानी में रहीमू कसाई के लड़के का जिक्र है, जो आधा पागल था और कविताएं बकता रहता था, और उसके कारण कहानी का मुख्य पात्र मुशायरों में जाने को मजबूर हुआ।
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एक कवि सम्मेलन में उसे चप्पलें और जूते इकट्ठा करने का आइडिया आया, और उसने इस व्यापार को बड़े पैमाने पर शुरू किया।
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इस धंधे में उसे टमाटर, बैंगन और केले भी मिलते थे, जिन्हें वह थोक के भाव में बेचता था, जिससे उसकी कमाई और बढ़ गई।
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धीरे-धीरे वह पुराने जूते-चप्पलों और सब्जियों का थोक व्यापारी बन गया और उसके नाम का मण्डी में डंका बजने लगा।
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इस व्यापार में कभी-कभी उसे श्रोताओं के हमलों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उसने इसे भी हंसी-खुशी स्वीकार किया।
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इस मजेदार कहानी में हास्य के तत्व हैं और यह बताती है कि कैसे एक व्यक्ति ने अपनी किस्मत को एक अनोखे तरीके से बदल दिया।
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कहानी का निष्कर्ष यह है कि धैर्य और समझदारी से किसी भी विपरीत परिस्थिति को अपने पक्ष में बदला जा सकता है।
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