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यह कहानी एक व्यक्ति की है जिसने नौकरी न मिलने पर 'असिस्टेंट यमराज' के लिए आवेदन किया और बिना किसी 'सोर्स' के उसे नौकरी मिल गई।
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कहानी में एक धनवान व्यक्ति के बेटे की तुलना की गई है, जिसे कोई नौकरी नहीं मिली, जबकि लेखक को बिना रिश्वत दिए नौकरी मिल गई।
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लेखक को असिस्टेंट यमराज के रूप में एक भैंसा, फटे बोरों की गद्दी, रस्सी, पुराना थर्मस और प्राण निकालने वाले शस्त्र दिए गए।
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यमराज जी ने लेखक को एक सेठ के घर जाकर उसकी आत्मा लाने का काम सौंपा, जबकि यमराज जी खुद सिनेमा देखने चले गए।
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सेठ ने लेखक को रिश्वत देने की कोशिश की, लेकिन लेखक ने उसे मना कर दिया और एक भिखमंगे की आत्मा लेने का विचार किया।
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लेखक ने भिखमंगे की आत्मा थर्मस में रख ली और वापस लौट गया।
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यमराज जी ने अगले दिन लेखक की गलती पकड़ ली और उसे नौकरी से निकाल दिया।
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कहानी के अंत में लेखक समझता है कि भगवान के ऑफिस में भी उसके जैसे अफसर होंगे,
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वर्ना समाज का ढांचा इतना बिगड़ा हुआ नहीं होता।
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