Read Full Story
एक समय की बात है, चंदनगढ़ के एक गांव में एक आम का पेड़ था जो बहुत मीठे और स्वादिष्ट आम देता था। गांव के लोग उसकी सेवा करके आम का आनंद लेते थे और पेड़ भी खुश रहता था।
Read Full Story
पेड़ की मिठास की चर्चा दूर-दूर तक फैल गई, जिससे आसपास के क्षेत्रों के लोग भी आम चखने आने लगे। पेड़ गांव के लोगों के लिए एक अनमोल खजाना बन गया था।
Read Full Story
एक दिन राजा को इस पेड़ के बारे में पता चला और उन्होंने आदेश दिया कि अब से इस पेड़ के आम केवल राजपरिवार के लिए होंगे। इससे गांव के लोग और पेड़ दोनों उदास हो गए।
Read Full Story
राजा ने जब पेड़ के आम खाए तो उन्हें महसूस हुआ कि केवल अपने लिए इन्हें रखना सही नहीं है। उन्होंने देखा कि पेड़ की और गांव वालों की खुशी कम हो गई है।
Read Full Story
राजा के महामंत्री ने सुझाव दिया कि पेड़ का स्वभाव सबको फल देना है और उसे उसकी प्रकृति से वंचित करना उचित नहीं है।
Read Full Story
राजा ने इस पर विचार किया और नया फरमान जारी किया कि पेड़ फिर से सबके लिए आम देगा। इससे पेड़ और गांव के लोग फिर से खुश हो गए।
Read Full Story
पेड़ ने राजा का धन्यवाद किया और राजा ने महसूस किया कि खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। उन्होंने सीखा कि एक सच्चे शासक को अपनी प्रजा के सुख-दुख का ख्याल रखना चाहिए।
Read Full Story
कहानी "मैं सबके लिए" हमें सिखाती है कि स्वार्थ छोड़कर सबके हित के बारे में सोचने से खुशी और समृद्धि आती है।
Read Full Story
पेड़ की तरह हमें भी उदार और सबके प्रति प्रेमपूर्ण होना चाहिए।
Read Full Story