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कहानी अहमदाबाद के एक घर से शुरू होती है, जहाँ विग्नेश नाम का बच्चा होमवर्क खत्म करने के बाद अपनी पसंदीदा वीडियो गेम "रंगीन दुनिया" खेलता है।
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विग्नेश को असली दुनिया को रंगीन बनाने का विचार आता है और वह अपनी माँ से जादुई स्पैक्स की मांग करता है।
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उसकी माँ उसे साधारण चश्मा देती हैं, जिससे वह बाहर की दुनिया को रंगीन देखना चाहता है, लेकिन सब कुछ सामान्य ही नजर आता है।
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विग्नेश की माँ उसे बताती हैं कि जादुई स्पैक्स से देखने पर सब कुछ रंगीन दिखाई देता है, लेकिन असल में यह देखने के नजरिए पर निर्भर करता है।
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विग्नेश समझता है कि चश्मा जादुई नहीं है; बल्कि यह उसकी सोच और देखने के तरीके को बदल रहा है।
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जब वह सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने लगता है, तो उसे सब कुछ रंगीन और सुंदर नजर आने लगता है।
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विग्नेश अपने दोस्तों को भी इस अनुभव को बताता है और वे सब मिलकर चीजों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने का खेल खेलते हैं।
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कहानी का संदेश है कि दुनिया को खूबसूरत बनाने के लिए जादुई चश्मे की नहीं, बल्कि सकारात्मक दृष्टिकोण की जरूरत होती है।
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जब हम अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो हमारी दुनिया अपने-आप ही ज्यादा खूबसूरत और खुशहाल बन जाती है।
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कहानी बच्चों को यह सिखाती है कि नजरिया बदलने से जीवन में खुशहाली और रंगीनियत आती है।
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