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जंगल की कहानी में जानवरों की एक सभा होती है, जिसमें वे इंसानों के अत्याचारों के खिलाफ रोष प्रकट करते हैं।
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जानवरों का कहना है कि इंसान ने उन्हें मारना शुरू कर दिया है और उनके भोजन और वंश को खतरे में डाल दिया है।
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इस सभा की अध्यक्षता सफेद शेर करता है, और सभी जानवर मिलकर ब्रह्मा देवता के पास अपनी शिकायत भेजने का निर्णय लेते हैं।
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सफेद शेर को जानवरों का प्रतिनिधि चुना जाता है और वह ब्रह्मा के पास इंसानों के अत्याचार की शिकायत करने जाता है।
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इंसान, इस बात से डर कर कि ब्रह्मा को शिकायत की खबर पहुँच गई तो वे नाराज हो सकते हैं, अपने दूत को भी भेजता है।
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इंसान का दूत ब्रह्मा के सचिव को घूस देकर सफेद शेर की शिकायत को टालने की योजना बनाता है।
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ब्रह्मा, शेर की ऊंची आवाज से नाराज होकर उसे श्राप देते हैं कि वह अब बोल नहीं सकेगा और उसे एक चमकदार तारे में बदल देते हैं।
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इस श्राप के परिणामस्वरूप, सभी जानवरों की बोलने की शक्ति समाप्त हो जाती है और वे अब केवल आवाजें निकाल सकते हैं।
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युगों बाद भी जानवर अपने दूत की वापसी की प्रतीक्षा करते हैं, लेकिन वह कभी वापस नहीं आता।
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कहानी इस तथ्य पर समाप्त होती है कि इंसान अब भी डरता है कि कहीं उसकी चालाकी का भंडाफोड़ न हो जाए।
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