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एक उपवन में चंपी नामक मुर्गी रहती थी, जिसका एक प्यारा बेटा गब्बू था। गब्बू अपनी माँ का आज्ञाकारी बेटा था और बहादुरी की कहानियाँ सुनकर बड़ा हो रहा था।
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एक दिन चंपी मुर्गी को काम से बाहर जाना पड़ा, और उसने गब्बू को अकेले घर पर रहने की हिदायत दी, साथ ही किसी अनजान पर विश्वास न करने की सलाह दी।
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चंपी की गैरमौजूदगी में एक धूर्त लोमड़ी घर आई और गब्बू को मीठी बातों से फुसलाने की कोशिश की। लोमड़ी ने गब्बू से कहा कि वह उसकी मौसी है और कहानियाँ सुनाने आई है।
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गब्बू ने लोमड़ी की चालाकी को भांप लिया और उसे अपने भाइयों को लाने का बहाना बनाकर घर के अंदर बंद कर दिया।
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गब्बू ने बाहर से घर का दरवाजा बंद कर दिया और अजायबघर के अधिकारियों को सूचित किया, जो लोमड़ी को पकड़ने के लिए इनाम देने को तैयार थे।
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गब्बू की सूझबूझ से लोमड़ी को कैद कर लिया गया और अजायबघर ले जाया गया। इस पर गब्बू को इनाम के रूप में उपवन के पास की जमीन दाना चुगने के लिए मिली।
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गब्बू ने अधिकारियों से यह आश्वासन भी लिया कि उपवन के किसी भी प्राणी को भविष्य में अजायबघर के लिए कैद नहीं किया जाएगा।
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चंपी मुर्गी वापस लौटकर अपने बेटे की वीरता देखकर बहुत खुश हुई और उसे गले लगा लिया।
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गब्बू की बहादुरी और चतुराई से सबक मिला कि खतरे का सामना धैर्य और समझदारी से करना चाहिए।
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