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एक हरा-भरा जंगल था जहाँ कई जानवर एक साथ रहते थे, और एक चालाक कौवा एक बड़े पेड़ की ऊंची डाल पर रहता था।
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कौवा अपने भोजन को सुरक्षित रखने और चुराने के लिए मशहूर था। एक दिन वह एक रोटी लेकर टहनी पर बैठा था।
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नीचे से गुजरती भूखी लोमड़ी ने कौवे को रोटी के साथ देखा और उसे चालाकी से फंसाने की योजना बनाई।
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लोमड़ी ने मीठी आवाज में कौवे की तारीफ की और उसे एक गाना गाने के लिए कहा ताकि उसकी आवाज सुन सके।
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कौवा लोमड़ी की तारीफों में आ गया और गाना गाने के लिए अपनी चोंच खोली जिससे रोटी गिर गई।
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लोमड़ी ने तुरंत रोटी झपट ली और कौवे को समझाया कि यह उसकी भूख और कौवे की बेवकूफी का नतीजा था।
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कौवा अपनी गलती समझ गया और मन में कसम खाई कि भविष्य में वह झूठी तारीफों के झांसे में नहीं आएगा।
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कहानी से सीख मिलती है कि झूठी प्रशंसा करने वालों से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि वे केवल अपने स्वार्थ के लिए ऐसा करते हैं।
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कहानी से सीख: झूठी प्रशंसा करने वालों से बचना चाहिए, क्योंकि वे केवल अपने फायदे के लिए ऐसा करते हैं।
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