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सेठानी जी को अपनी रसोई से गहरा लगाव था और उन्हें रसोई से जुड़ी वस्तुएं इकट्ठा करने की आदत थी।
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एक मेले में सेठानी जी ने सुंदर और चमकदार चाकू देखे और दो चाकू खरीद लिए।
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घर लौटकर, उन्होंने एक चाकू को रोजमर्रा के उपयोग के लिए निकाला और दूसरा अलमारी में रख दिया।
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नया चाकू बहुत उपयोग में आने लगा और उसकी चमक और धार बनी रही।
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सेठानी जी की सहेली ने नए चाकू की तारीफ की, जिससे चाकू भी खुश हो गया।
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तारीफ के बाद, सेठानी जी ने चाकू को अलमारी में सुरक्षित रखने का निर्णय लिया।
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पुराने चाकू से बातचीत के दौरान, नए चाकू को समझ आया कि बिना मेहनत के उसकी भी हालत खराब हो जाएगी।
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दोनों चाकू इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि नियमित उपयोग से ही उनकी चमक बनी रह सकती है।
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अब दोनों चाकू सेठानी जी के उपयोग में आने की प्रतीक्षा करने लगे, ताकि उनकी उपयोगिता बनी रहे।
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