Read Full Story
राजा वीरसेन, जो मेंढकों का राजा था, अपने अहंकार और आलोचना सहन न कर पाने के कारण प्रतिशोध की आग में जलने लगा।
Read Full Story
जब तारक नामक मेंढक ने राजा की नीतियों की आलोचना की, तो वीरसेन ने उसे सबक सिखाने के लिए एक खतरनाक योजना बनाई।
Read Full Story
राजा वीरसेन ने सर्प द्रोण के साथ एक घातक समझौता किया, जिसमें उसने द्रोण को अपने शत्रुओं को खाने के लिए आमंत्रित किया।
Read Full Story
वीरसेन ने अपने विरोधियों को 'गुप्त विकास परियोजना' के बहाने सर्प के पास भेजना शुरू किया, जहां वे सर्प का शिकार बनते गए।
Read Full Story
धीरे-धीरे, वीरसेन के सभी विरोधी समाप्त हो गए, और उसने सोचा कि अब उसका जलमहल सुरक्षित है।
Read Full Story
जब वीरसेन ने द्रोण से जलमहल छोड़ने के लिए कहा, तो द्रोण ने उसे विश्वासघाती बताते हुए इनकार कर दिया।
Read Full Story
द्रोण ने वीरसेन को भी अपना शिकार बनाया, जिससे वीरसेन का अंत हो गया और द्रोण जलमहल का नया स्वामी बन गया।
Read Full Story
कहानी से यह सीख मिलती है कि प्रतिशोध की भावना आत्मघाती होती है और अहंकार बड़े विनाश का कारण बन सकता है।
Read Full Story
दूसरों को क्षमा करना सबसे बड़ा बल है, जबकि प्रतिशोध की चाहत सबसे बड़ी कमजोरी होती है।
Read Full Story