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गुड्डू एक 8 साल का बच्चा था जो शहर की एक गली में रहता था। वह शरारती था, लेकिन उसका दिल साफ था और उसकी मम्मी उसे हमेशा सिखाती थीं कि गलती को स्वीकारना और माफी मांगना जरूरी है।
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एक दिन, गुड्डू की मम्मी ने उसे चेतावनी दी कि वह टेबल पर रखे नए गुलदस्ते को न छुए। लेकिन गुड्डू ने उत्सुकता में उसे उठा लिया, जिससे वह गलती से टूट गया।
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डर के मारे, गुड्डू ने टूटे हुए गुलदस्ते के टुकड़े छुपा दिए और अपनी मम्मी से झूठ बोल दिया कि एक बिल्ली ने गुलदस्ता गिरा दिया।
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मम्मी ने गुड्डू के झूठ को समझ लिया, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। गुड्डू को बेचैनी होने लगी और उसने महसूस किया कि सच्चाई बोलना सही होता है।
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जब पापा घर आए, तो मम्मी ने उन्हें सारी बात बताई। पापा ने गुड्डू से प्यार से सच्चाई पूछी, और गुड्डू ने रोते हुए अपनी गलती स्वीकार की और माफी मांगी।
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पापा और मम्मी ने गुड्डू को माफ कर दिया और उसकी ईमानदारी की सराहना की। उन्होंने उसे सिखाया कि माफी मांगने में हिम्मत होती है और यह रिश्तों को मजबूत बनाता है।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि गलती करना बड़ी बात नहीं है, लेकिन उसे छुपाने के लिए झूठ बोलना गलत है।
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सच्चाई और माफी से मन हल्का होता है और रिश्ते मजबूत होते हैं।
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यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि सच्चाई और माफी की ताकत क्या होती है और यह नैतिकता और ईमानदारी का महत्व बताती है।
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