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"गुस्से पर विजय" एक प्रेरक बाल कहानी है जो रमेश नाम के लड़के की गुस्से पर काबू पाने की यात्रा को दर्शाती है।
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कहानी में रमेश के पिता ने उसे गुस्सा आने पर दीवार में कील ठोकने का तरीका सिखाया, जिससे वह अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीखता है।
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जैसे-जैसे रमेश अपने गुस्से को नियंत्रित करता है, वह दीवार से कीलें निकालने लगता है, लेकिन दीवार पर छेद देखकर उसे समझ आता है कि गुस्सा दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है।
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रमेश अपने दोस्त सुनील के साथ गुस्से को शांति में बदलने में सफल होता है और यह सबक गांव के अन्य बच्चों को भी सिखाता है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि गुस्से पर काबू पाना असली ताकत है और गुस्से में बोले गए शब्द या किए गए कार्य दूसरों के दिल पर गहरे निशान छोड़ सकते हैं।
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रमेश की सीख से वह गांव का प्रेरणास्रोत बन जाता है,
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और उसके पिता को उस पर गर्व महसूस होता है।
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यह कहानी बच्चों को गुस्सा प्रबंधन, सहानुभूति और दूसरों के प्रति सम्मान का महत्व सिखाती है।
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अंततः, यह कहानी बताती है कि अपने व्यवहार में बदलाव लाकर हम खुद को और दूसरों को बेहतर बना सकते हैं।
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